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फर्जी सिम लेने पर अब तीन साल जेल व 50 लाख जुर्माना

फर्जी सिम लेने पर अब तीन साल जेल व 50 लाख जुर्माना।

नई दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को नया दूरसंचार विधेयक, 2023 पारित कर दिया। बिल में नकली सिम खरीदने पर तीन साल की जेल और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इतना ही नहीं, बिल ग्राहकों को सिम कार्ड जारी करने से पहले बायोमेट्रिक पहचान को अनिवार्य बनाता है। नए विधेयक में सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में अस्थायी रूप से दूरसंचार सेवाओं का नियंत्रण लेने और सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी के बजाय एक प्रशासनिक तंत्र अपनाने की अनुमति देने का प्रावधान है। दूरसंचार विधेयक, 2023 को संक्षिप्त बहस के बाद ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह विधेयक दूरसंचार क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि विपक्ष बहस में शामिल हुए बगैर भाग गया. दरअसल, स्थगन के बाद ज्यादातर विपक्षी सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. वैष्णव ने कहा कि यह विधेयक 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 सहित दो कानूनों को निरस्त कर देगा।

 

लाइसेंसिंग प्रणाली में होगा बदलाव।

दूरसंचार विधेयक के जरिये लाइसेसिंग प्रणाली में भी बदलाव होगा। इसके तहत मौजूदा समय में सेवा प्रदाताओं को विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए अलग- अलग पंजीकरण, लाइसेंस, अनुमतियां और अनुमोदन लेना पड़ता है।

 

2023 में भारत की नई दिल्ली लोकसभा द्वारा पारित किया गया। इन नए प्रतिबंधों की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं:

 

जेल और जुर्माना : नियमों में जेल और जुर्माना सहित प्रतिबंधों के दृष्टिकोण से नकली सिम की खरीद पर उचित रूप से रोक लगाई गई है। यह भारतीय समाज में डिजिटल सुरक्षा और सूचना सुरक्षा को बढ़ाने का एक प्रयास है।

 

बायोमेट्रिक पहचान : सिम कार्ड प्राप्त करने के लिए पूर्व बायोमेट्रिक पहचान की आवश्यकता होती है, जो प्रबंधन और सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।

 

नियंत्रण और स्वामित्व : प्रतिबंध सरकार को दूरसंचार सेवाओं पर नियंत्रण लेने का अधिकार देता है, और यह उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी के बजाय एक प्रशासनिक प्रणाली अपनाने का प्रयास करता है।

 

दूरसंचार क्षेत्र में सुधारों को प्रोत्साहन : केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रतिबंध, जैसा कि आप कहते हैं, दूरसंचार क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

 

विधायी परिवर्तन : प्रतिबंध ने पुराने टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 सहित दो अधिनियमों को निरस्त कर दिया और नई रूपरेखा प्रदान की।

 

इन नए दूरसंचार प्रतिबंधों का उद्देश्य समाज के डिजिटल नियंत्रण और सुरक्षा को बढ़ाना है, और भविष्य में देश के दूरसंचार क्षेत्र को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।