धर्म

ज्योतिष शास्त्र में क्यों होती हैं सिर्फ 12 राशियां?

कई लोगों को सुबह उठते ही राशिफल देखने या पढ़ने की आदत होगी। फिर भी राशिफल जानने की उत्सुकता किसे नहीं होती? हम भी आपके जैसे हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ज्योतिष में केवल 12 राशियों का ही उल्लेख क्यों किया गया है? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह सवाल आपके दिमाग में पहले कभी नहीं आया है। आज हम आपको इस सवाल का बेहद दिलचस्प जवाब बताएंगे। विशेषज्ञ ज्योतिषी सौरव मिश्रा का कहना है कि ज्योतिष में 12 राशियां होने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जिसके अनुसार आकाश को 12 भागों में विभाजित किया गया था और उन 12 भागों से 12 राशियों का निर्माण हुआ। वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार पृथ्वी का आकाश 12 भागों में विभाजित था। ये 12 भाग 360 डिग्री के अंतराल पर किये गये। अर्थात 1 भाग 30 डिग्री को कवर करता है, अर्थात 360 डिग्री के 12 भाग। इन्हीं 12 भागों से ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों का जन्म होता है। इन 12 राशियों के नाम भी इस प्रकार रखे गए: मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। दरअसल, 12 राशियों का नाम इस आधार पर रखा गया था कि 12 सितारों ने आकाश के 12 हिस्सों में अपना स्थान बनाया था। आकाश के 12 भागों में मौजूद ये तारे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसी वजह से 12 राशियों का नाम इस तारे के नाम पर रखा गया। प्रत्येक नक्षत्र किसी न किसी ग्रह के अंतर्गत आता है। इसलिए, प्रत्येक राशि का एक स्वामी ग्रह होता है। उदाहरण के लिए, सिंह राशि का स्वामी सूर्य देव है, कर्क राशि का स्वामी चंद्र देव है, धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है आदि। आपको बता दें कि राशियों के जन्म के तरीके और उनके नामों का वैज्ञानिक आधार है, लेकिन इन राशियों से जुड़ी बातें पूरी तरह से ज्योतिष पर आधारित हैं।